Thursday 8 September 2011

मुश्किल नहीं कुछभी, अगर ठान लीजिए



एक जगह एक मंदिर बन रहा था और एक राहगीर वहां से गुजर रहा था. उसने पत्थर तोड़ते एक मजदूर से पूछा कि तुम क्या कर रहे हो. उसने गुस्से में आ कर कहा, देखते नहीं, पत्थर तोड़ रहा हूं. वह राहगीर आगे गया, उसने दूसरे मजदूर से पूछा कि मेरे दोस्त क्या कर रहे हो?

उस आदमी ने उदासी से हथौड़े से पत्थर तोड़ते हुए कहा, रोटी कमा रहा हूं, बच्चे के लिए, पत्नी के लिए. ऐसा कहते हुए वह फ़िर से पत्थर तोड़ने के काम में लग गया. वह राहगीर थोड़ा आगे गया तो देखा कि मंदिर के पास काम करता हुआ एक मजदूर काम करने के साथ-साथ कोई गीत भी गुनगुना रहा था. राहगीर ने उससे पूछा कि क्या कर रहे हो मित्र? मजदूर अपने काम में रमा हुआ था. राहगीर की बातों पर उसका ध्यान नहीं गया. राहगीर ने फ़िर पूछा, मित्र तुम ये क्या कर रहे हो? उस व्यक्ति ने कहा, भगवान का मंदिर बना रहा हूं. इतना कह कर उसने फ़िर गाना शुरू कर दिया. तीनों व्यक्ति एक ही काम कर रहे थे, पत्थर तोड़ने का काम, पर तीनों का काम के प्रति दृष्टिकोण अलग-अलग था. तीसरा मजदूर अपने काम का उत्सव मना रहा था. अपने काम को पूजा की तरह कर रहा था, इसलिए खुश था.

जिंदगी में कम ही लोग हैं, जो अपने काम से प्यार करते हैं, और जो अपने काम से प्यार करते हैं, वही सफ़ल भी होते हैं. हर कोई सफ़ल हो सकता है, अगर काम को समर्पण के साथ करे. हम जो कर रहे हैं, उसके प्रति हमारा एटीट्यूड क्या है, सफ़लता बहुत हद तक इसी पर निर्भर है. एटीट्यूड में परिवर्तन होने से हमारी सारी गतिविधियां बदल जाती हैं.याद रखें, अगर काम के प्रति आपका एटीट्यूड यह है कि आप नहीं कर सकते, तो आप सचमुच ही नहीं कर पायेंगे. बेहतर होगा कि हमेशा खुद से यह कहें कि मैं कर सकता हूं. यह आपको ताकत देगा. अधिकतर लोग सफ़लता का मूलमंत्र कड़ी मेहनत को ही मानते हैं.

यह सही भी है, क्योंकि कड़ी मेहनत के बाद ही सफ़लता की उम्मीद की जा सकती है. लेकिन बिना उद्देश्य और राइट एटीट्यूड के की गयी मेहनत अक्सर व्यर्थ ही जाती है. इसलिए राइट एटीट्यूड और पॉजिटिव माइंडसेट के साथ काम करें. उदाहरण के लिए मार्केटिंग प्रोफ़ेशनल्स अपनी नाकामयाबी को बड़ी आसानी से यह कहते हुए टाल जाते हैं कि हमारे पास वे स्किल्स हैं ही नहीं, जिनसे प्रभावित हो कर हमारे क्लाइंट्स इंप्रेस हो सकें या मुझमें इतनी हिम्मत ही नहीं कि अमुक व्यक्ति की तरह मार्केटिंग कर सकूं. ऐसा सोचना आपको राइट मार्केटिंग एटीट्यूड से दूर कर देता है और आप सफ़ल नहीं हो पाते.

यह एटीट्यूड जितनी जल्दी अपनाएंगे, सफ़लता उतनी ही जल्दी मिलेगी. अगर अपने कैरियर के दौरान आप मन में यही सोचते रहे कि कुछ अच्छा होगा, कुछ बेहतर होगा, तो आप इंतजार ही करते रह जायेंगे. बेहतर होगा कि आगे बढ़ें और जिन चीजों के इंतजार में हैं, उन्हें खुद कर डालें. लेकिन सबसे पहले खुद से यह जरूर कहें कि मैं कर सकता हूं.

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