Tuesday, 20 September 2011

दौड़ में रहना है तो शामिल हों जेनरेशन-वाइ में



जेनरेशन-वाइ, इन दिनों ऑफ़िस कल्चर का अहम हिस्सा है. उनसे डील करने के लिए एचआर मैनजर्स को नयी पॉलिसियां तैयार करनी पड़ रही हैं, क्योंकि उनकी जरूरतें और काम का तरीका काफ़ी हट कर है. जेनेरेशन-वाइ युवा हैं, स्मार्ट हैं और जबर्दस्त महत्वाकांक्षी भी. उन्हें कैजुअल परिधानों में ऑफ़िस जाना कभी नहीं अखरता.
स्मार्ट फ़ोन के बिना उनका काम नहीं चलता. उनकी डेस्क पर बजता म्यूजिक उनकी पहचान है, तो दोस्तों के साथ ऑनलाइन रहना उनकी दोस्ती की शान है. इन सबके बीच वे अपना काम भी बखूबी करना जानते हैं.कुछ ही समय पहले जेनरेशन-एक्स का बोलबाला हुआ करता था, लेकिन जेनरेशन-वाइ ने उसे भी पीछे कर दिया है. कॉलेजों से निकल कर यह जेनरेशन अब ऑफ़िसों में भी अपना हुनर दिखा रही है. विशेषज्ञ मानते हैं कि इन पीढ़ी के युवा अपनी कौशल से ऑफ़िस कल्चर में भी काफ़ी बदलाव ला रहे हैं. जेनरेशन-वाइ बहुत नेटवक्र्ड और इंफ़ॉर्म्ड है. इनके पास सूचनाओं और तकनीकों का भंडार है. इन्हें आजादी चाहिए और फ्लेक्िसबिलिटी भी. तकनीक में आगे होने के साथ-साथ यह पीढ़ी अपनी सामाजिक जिम्मेदारियां भी जानती है. इनमें इतना आत्मविश्वास है कि ये सही जॉब मिलने तक जॉब हंटिंग करते रहते हैं. एक प्रतिष्ठित कंपनी के एचआर मैनेजर जय कुमार का कहना है कि जेनरेशन-वाइ को केवल पैसे से मतलब नहीं होता, बल्कि वे ह्यूमर, पैशन और सच से भी पूरा वास्ता रखते हैं. वे अपनी क्षमताओं को बढ़ाने में विश्वास रखते हैं. नयी चुनौतियां स्वीकार करते हैं, ज्यादा जिम्मेदारियां लेने को तैयार हैं, अपनी उपलब्धियों के लिए पहचान और पुरस्कार भी चाहते हैं. आज सैलरी पैकेज नहीं जॉब संतुष्टि चाहिए.
एचआर के लिए दिक्कत
जेनरेशन-वाइ को संभालने में एचआर मैनेजरों को खासी मेहनत करनी होती है, क्योंकि उनकी उम्मीदें अन्य एंप्लॉयज के मुकाबले कुछ अलग होती हैं. विचारधारा में अंतर के चलते कई बार मैनेजमेंट और नये एंप्लॉय के बीच बहस जैसी स्थिति भी पैदा हो जाती है.
समय के साथ बदलना होगा
विशेषज्ञों का मानना है कि मैनेजर्स खुद भी जेनरेशन-वाइ के नजरिये से सोचेंगे, तो उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी. कई कंपनियां अपने यहां काम के माहौल को नये वर्कफ़ोर्स के हिसाब से बदल रही हैं. यह सही है. ऐसा करने से ही बेहतर और अच्छा काम हो सकता है.000खुद को देखें ब्रांड की तरहजेनरेशन-वाइ के लोग खुद को एक ब्रांड की तरह देखते हैं. अपनी ब्रांड इमेज को लेकर काफ़ी सजग रहते हैं. इस इमेज को बेहतर बनाने के लिए वे कोई मौका नहीं छोड़ते. इस पीढ़ी के लोग सीखने के नये तरीकों, मसलन, ई-लर्निग में पुराने लोगों की अपेक्षा ज्यादा रूचि लेते हैं. वे अपनी प्रोडक्‍टिविटि में सुधार के लिए हर तकनीक से ज्यादा से ज्यादा हासिल करना चाहते हैं.
करें हैंडल जेनरेशन-वाइ को
एचआर मैनेजर जय कुमार कहते हैं कि जेनरेशन-वाइ को थोड़ी तरकीब से मैनेज करना चाहिए, क्योंकि जमाना बदल रहा है. जेनरेशन-वाइ का फ़ेवरिट ट्रेंड सैलरी पैकेज, कम्यूनिकेशन स्टाइल, मैनेजमेंट ट्रेनिंग, लाइफ़स्टाल बेनिफ़िट और डिस्ट्रिब्यूटेड वर्क एन्वायरनमेंट से जुड़ा हुआ है. उन्हें अपने काम के लिए अभी पहचान चाहिए. जो कंपनियां उन्हें आजादी देती हैं, जेनरेशन-वाइ उन्हीं के साथ रहना चाहती है. यदि आज के हर एंप्लॉयी और एंप्लॉयर जेनरेशन-वाइ की तरह खुद को विकसित करें, तो परिणाम निश्चित रूप से काफ़ी बेहतर होगा. आज जेनरेशन-वाइ की पसंद वे कंपनियां हैं, जहां ज्ञान को साझा किया जाता हो, तुरंत एक्शन लिया जाता हो और नये काम करने के मौके मिलते हों.

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