Friday 9 September 2011

विश्व का पहला सुपर कंप्यूटर



सुपर कंप्यूटर किसी भी आम कंप्यूटर से कई हजार गुना ज्यादा स्पीड से काम करता है. इसे अमूमन स्पेस और सेटेलाइट डेवलपमेंट के लिये इस्तेमाल किया जाता है. दुनिया का पहला सुपर कंप्यूटर 60वें दशक में वजूद में आया था.

इसे डिजाइन करनेवाले सेयमर क्रे को लोग सुपर कंप्यूटर ओर्कटेक्ट के नाम से भी जानते हैं. जब क्रे ने यह कंप्यूटर डिजाइन किया, उस वक्त वह कंट्रोल डेटा कॉपरेरेशन में काम करते थे. क्रे के कंपनी छोड़ देने के बाद 1970 में इसे पहली बार मार्केट में उतारा गया. वैसे उस दौर का सुपर कंप्यूटर वर्तमान में सामान्य कंप्यूटरों के जैसा ही था.

आमतौर पर सुपर कंप्यूटरों का इस्तेमाल मौसम, रिसर्च, सेटेलाइट डेवपलमेंट और स्पेस की जानकारी के लिये किया जाता है. इन कंप्यूटरों की प्रोसेसिंग इतनी तेज होती है कि अरबों, खरबों की कोडिंग सेकेंड से भी कम वक्त में कर सकते हैं.कुछ महीनों पहले इसरो के चेयरमैन के राधाकृष्णन ने देश का सबसे लेटेस्ट सुपरकंप्यूटर लांच किया था.

इस सुपर कंप्यूटर की पूरी ड्राफ्टिंग और डेवलपमेंट विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर ने की है. इसरो का दावा है कि इस सुपर कंप्यूटर की स्पीड देश के पहले दो सुपर कंप्यूटर्स से ज्यादा है. इसे 220 टेराफ्लोप्स के साथ डिजाइन किया गया है. इसे सागा-220 नाम दिया गया है. इसरो ने इस सुपर कंप्यूटर को लांच कर दुनिया के सामने भारतीय कौशल की मिसाल पेश की. विश्व में सुपर कंप्यूटर्स : चीन ने अक्तूबर 2010 में दुनिया का सबसे तेज सुपर कंप्यूटर तिहाने-1ए लांचकिया था.

सुपर कंप्यूटर की स्पीड को फ्लॉप्स में नापा जाता है. चीन का सुपर कंप्यूटर 1015 टेराफ्लॉप्स है, जबकि इसकी तुलना में सागा की स्पीड सिर्फ़ 220 टेराफ्लॉप्स है. इससे पहला देसी सुपर कंप्यूटर टाटा का माना जाता है, जो पुणे में स्थित है. इसकी स्पीड 117.9 टेरा फ्लोप्स है. अगर विश्व के सबसे तेज सुपर कंप्यूटर की बात करें तो अमेरिका में स्थित जगुआर है, जिसे क्रे टी5 के नाम से भी जाना जाता है. जगुआर ने आइबीएम के रोड रनर को पछाड़ कर पहला स्थान प्राप्त किया है. साल 2008 से हाल तक रोड रनर को प्रथम स्थान प्राप्त था, जिसने 1 पीटा फ्लोप्स की गति सीमा को पार किया था. यह अमेरिका के रक्षा विभाग के लिये कार्य करता है.

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