नवोदय विद्यालय के एक छात्र के संघर्ष और सफलता की कहानी.
मध्यप्रदेश के दतिया जिले में पैदा हुए आलोक लिटोरिया ने बारहवीं तक की पढ़ाई नवोदय विद्यालय दतिया और शिवपुरी से पूरी की. बीकॉम, बीलिब्स और एमलिब्स बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से की. उन्होंने एक साल पहले अपनी कंपनी निश्चयसॉल्यूशनडॉटकॉम की शुरुआत की है. आज वह किसी संस्थान में नौकरी करने के बजाय औरों को नौकरी दे रहे हैं.
मध्यवर्गीय परिवार में जन्म लेने वाले आलोक ने कभी सोचा नहीं था कि एक दिन वह खुद का बिजनेस करेंगे. ओर्थक स्थिति अच्छी न होने के कारण उन्हें अपने कई सपनों का गला घोटना पड़ा. अंत में उन्होंने निश्चय किया कि अब और नहीं, अब वक्त है देश के लिए कुछ करने का. देश की उन्नति में सहायक बनने का. इसके लिए आलोक ने रोजगार की कमी को हटाने में कुछ सहयोग देने का फ़ैसला किया और उनके इस फ़ैसले ने ही निश्चयसॉल्यूशनडॉटकॉम को जन्म दिया.
शुरुआती दौर
नवोदय ने मुझमें चीजों से डरने की नहीं, लड़ने की क्षमता का विकास किया. प्रारंभिक शिक्षा के दौरान ही मेरे पिताजी का देहांत हो गया था. मैं घर में सबसे बड़ा था इसलिए ज्यादा सोचता था पर पढ़ाई बीच में छोड़ नहीं सकता था. बारहवीं की पढ़ाई के बाद मैंने बीकॉम किया. इसके बाद बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से बैचलर्स इन लाइब्रेरी साइंस और मास्टर्स ऑफ़ लाइब्ररी साइंस की पढ़ाई पूरी की.
सिविल सर्विस पास करना चाहता था...
मैं आइएएस बनना चाहता था. काफ़ी कोशिशों के बाद मैंने दिल्ली आने का निश्चय किया. कुछ समय के लिए इसकी तैयारी की. कोचिंग भी ज्वॉइन की लेकिन ओर्थक स्थिति आड़े आ गयी. मेरे पास इतना पैसा नहीं था कि मैं कोचिंग कर सकं. परिवार को भी देखना था इसलिए मुङो अपने इस सपने को भूलना पड़ा. इसके बाद मैं नौकरी करने लगा.
पहली नौकरी
दिल्ली में ही मैंने एग्जीक्यूटिव के रूप में आइसीआइसीआइ बैंक में काम किया. मेरी पहली तनख्वाह सात हजार सात सौ पचास रुपये थी लेकिन इस वक्त तक मैंने सोच लिया था कि अब तो मुङो नौकरी ही करनी है. इसके बाद मैं लगातार नौकरियां बदलता रहा.
सफ़र यूं ही चलता रहा...
घर में पैसे देना, दिल्ली में रह कर अपना खर्च निकालना. उस पर मेरी नौकरी फ़ील्ड की थी तो ज्यादा पैसे खर्च होते थे. इन परिस्थितियों में मेरा नौकरी बदलना काफ़ी जरूरी था. मैंने नौकरी बदली. बिरला सनलाइफ़ में एजेंसी मैंनेजर के रूप में सात महीने काम किया. इसके बाद फ्यूचर ग्रुप में सेल्स मैनेजर के रूप में एक साल तक काम किया. इस वक्त मुङो करीब 34 हजार रुपये महीने मिलने लगे थे. इसके बाद मैंने माउंट विजन नेटवर्क कंपनी में काम किया. यह प्रोडक्ट्स की कंपनी थी, साथ में बल्क मैसेज का काम भी करती थी. मैंने इस कंपनीमें रीजनल मैनेजर के रूप में काम किया. यहां मुङो करीब 45 हजार रुपये महीने मिलते थे. इस कंपनी में काम करते हुए मुङो महसूस हुआ कि बल्क मैसेजिंग का काम काफ़ी अच्छा और इंटेरेस्टिंग है. मुङो इसका अपना काम करना चाहिए.
बिजनेस के प्रेरणा स्रोत बने धीरूभाई अंबानी
बिजनेस के बारे में सोचने पर मुङो धीरूभाई अंबानी प्रेरित करते थे. उन्होंने लोगों के लिए काम किया. देश के युवाओं को रोजगार दिया इसलिए मैंने सोचा कि मैं भी ऐसा ही बिजनेस करूंगा, जिससे देश को मदद मिल सके. अगर खुद ही नौकरी करता रहूंगा तो औरों को रोजगार कैसे दूंगा.
निश्चयसॉल्यूशनडॉटकॉम की शुरुआत
मेरे पास ज्यादा पैसे नहीं थे. मैंने पार्टनरशिप में बिजनेस शुरू किया. मेरे पार्टनर का नाम है आनंद पांडे. पहले की बचत से बिजनेस की शुरुआत की. शुरू में 20,000 का निवेश किया. 2010 सितंबर में जब हमने अपनी कंपनी की शुरुआत की तो हमारे पास कोई ऑफ़िस नहीं था. फ़िर हमने लक्ष्मी नगर, दिल्ली में अपना ऑफ़िस बनाया. आज हमें महीने में 80 हजार से एक लाख रुपये का रिटर्न मिलने लगा है. इस वक्त हम अपनी कंपनी के माध्यम से पांच और लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. यह कंपनी बल्क मैसेज का काम करती है.
मन में डर था
मेरे इरादे पक्के थे लेकिन मन में इस बात का डर था कि अगर बिजनेस नहीं चला तो क्या करूंगा. इतने पैकेज वाली नौकरी छोड़ी है, दोबारा मिलेगी कि नहीं. मेरे घर की ओर्थक स्थिति अच्छी नहीं थी इसलिए अपने विचारों को घर में नहीं बांट सकता था. मुङो औरों से ज्यादा सपोर्ट नहीं मिला, लेकिन मेरे दोस्तों ने मुङो बहुत प्रोत्साहित किया.
बिजनेस आसान नहीं
बिजनेस करना आसान नहीं है. इसमें दिखावे के लिए बहुत खर्च करना पड़ता है, जो कि जरूरी भी है. लोग हमारी तरफ़ आकर्षित हों, हमारे साथ काम करें, इसके लिए पैसे खर्च करने होते हैं. अच्छा काम करने के लिए टीम को संतुष्ट रखना भी बहुत जरूरी होता है. आपके पास पैसे हों या नहीं इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता, लेकिन आपके साथ जो लोग काम कर रहे हैं, उन्हें समय से सैलरी देना जरूरी होता है. इसके लिए कई तरह की दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है.
टेंशन दूर करता है मोटीवेशन
बिजनेस में कई तरह की परेशानियां आती हैं. यही परेशानियां हमें प्रोत्साहित भी करती हैं. हमने निश्चल केयर सोसाइटी के नाम से एक एनजीओ भी खोला है. इसके तहत हम गरीब बच्चों को मुफ्त मेडिकल सुविधा देते हैं
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